बारिश नाज़िल होने का वक्त फज़ले इलाही और लोगों पर रहमते इलाही का वक्त है उस वक्त में खैरो भलाई के असबाब मज़ीद बढ़ जाते हैं और यह दुआ के लिए कुबूलियत की घड़ी है, हदीस में है के नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया: दो प्रकार की दुआएं रद्द नहीं होती, अजान के वक्त दुआ और बारिश के वक्त दुआ। -(हाकिम मुस्तद्रक : 2534, अल मुअजमूल कबीर 5756,सहिहुल जामेअ: 3078) बारिश के वक्त भीगना बरसात होते वक्त बारिश में भीगना मुस्तहब है, जैसे के हजरत अनस रजि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि: “एक बार हम रसूलुल्लाह
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