१७७८ बारिश में रास्तों का कीचड़ लगना - Islamic Msg Official

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الاثنين، 1 يوليو 2019

१७७८ बारिश में रास्तों का कीचड़ लगना

बारिश में रास्तों का कीचड़ लगना

आज का सवाल नंबर १७७८

बारिश का मौसम चल रहा हे सड़कों पर पानी भर जाता है,और गाड़ियों की छींटे भी कपड़ो व बदन पर आ जाते हैं, तो ऐसे कपड़ों में नमाज का क्या हुक्म है?

जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما

बरसात बगैरा के जमाने में रास्तों की जो छींटे कपड़ों पर लग जाती हैं, उनके बारे में यह तफसील है के कोई ऐसा शख्स हो जिसको किसी जरूरत से बार-बार ऐसे कीचड़ वाले रास्तों पर जाना पड़ता हो और उसके लिए हर मर्तबा कपड़ों का धोना मुश्किल हो तो ऐसे शख्स के हक में जरूरतन रास्ते के छींटे माफ हैं चाहे वो छींटे ज्यादा ही क्यों ना हो? और उन्हीं कपड़ों के साथ उसकी नमाज दुरुस्त हो जाएगी, लेकिन अगर कोई ऐसा शख्स हो जिसको बार-बार रास्तों में आने जाने की ज़रूरत ना हो और वो उन छींटाे से बच सकता हो तो ऐसे शख्स के लिए थोड़े बहुत छींटे तो माफ़ होंगी; लेकिन अगर बहुत ज्यादा छींटे ऐसे शख्स के कपड़ों पर लग जाएं तो इनको माफ़ करार नहीं दिया जाएगा, पस उन्हें धोकर ही इसके लिए इन कपड़ो में नमाज पढ़ना दुरुस्त होगा।

तेज बारिश में रास्तों पर बहने वाला पानी अगर नजासत मिलने की वजह से उसका रंग या बू बदल जाए, जैसा के आम तौर शहरों की गली कूचों में इबतेदाई बारिश के वक्त देखा जाता है तो यह पानी नापाक होगा, अगर ये बदन या कपड़ों में लग जाए तो इसका पाक करना जरूरी होगा, लेकिन अगर तेज बारिश देर तक होती रही, जिसकी बिना पर गंदगी बह कर आगे चली गई और पानी साफ सुथरा नजर आने लगा या पहले ही सड़क साफ सुथरी थी उस पर पानी बह पड़ा या गांव देहात के कच्चे रास्तों पर बारिश का पानी मिट्टी में मिल कर बहने लगा दो उस पानी को नापाक नहीं कहा जाएगा, और उसका हुक्म जारी पानी की तरह होगा।

किताबुल मसाइल जिल्द 1/101,102
و الله اعلم بالصواب

इस्लामी तारीख़
२८~शव्वाल उल मुकररम~१४४०~हिज़री

मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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