रोज़ी की बरक़त के लिए अमले मुअ’तबरा
आज का सवाल नंबर १७८३
आज उम्मत रिज़्क़ के मुआमले में काफी परेशान है, रोज़ी बरक़त के लिए क़ुरान हदीस से साबित कोन कोन से आमाल है ? ये बताने के ग़ुज़ारिश।
जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
रुजी की बरक़त के लिए नीचे लिखे गए आमाल है जिस का रोज़ना एहतेमाम करना चहिये।
१. पांच वक़्त की नमाज़ का ऐहतमाम।
२. ईस्तिग़फ़ार-तौबा कसरत से करना।
३. ला हवला वला क़ुव्वत इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम कसरत से पढ़ना। (कसरत के मा’ने कम से कम ३०० बार)
४. मा बाप की ख़िदमत।
५. सीलाह रहमी-रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलुक।
६. रोजाना अपनी हैसियत के मुताबिक़ सद्क़ह की कसरत।
७. हमेंशा बा वज़ू रहने का एहतमाम।
८. दुरूद शरीफ की कसरत।
९. बरकत की दुआ माँगते रेहना।
१०. तकवा-यानि हर गुनाह से बचने का ऐहतमाम।
११. फ़ज़र की नमाज़ के बाद ना सोना, और रोज़ी कमाने की तैयारी और मेहनत को सुबह सवेरे शुरू करना।
१२. अल्लाह के रास्ते में निकलना या दीन की नशरो ईशात-फेलाने की मेहनत करते रेहना।
१३. जहां कुफ्र, शिर्क और गुनाहों का माहोल हो ऐसी जगाह से अपने या अपने बीवी बच्चों के इमान और आमाल की हिफाज़त के लिए हिजरत करना (उस इलाके को अल्लाह के लिए छोड़ देना)
१४. कना`अत करना यानि ज़रूरत के मुताबिक़ रोज़ी पर बस करना- थोड़े पर राज़ी रेहना, ज़यादा की तमन्ना और लालच न करना, लोंगों से शिक़वा शिकायत न करना, अपनी ज़रूरत लोगों से छुपाना और सिर्फ अल्लाह ही को पेश करना।
१५. खर्च करने में ऐ`तेदाल-दरमियानी चाल इख़्तियार करना-फ़ुज़ूल खर्ची और इसराफ़ न करना, कम से कम खर्च में सिर्फ अपनी ज़रूरत ही पूरा करना।
१६. खाने से पहले और खाने के बाद हाथ धोना।
१७. तमाम सुन्नतों पर अमल करना।
१८. मुहताजों की जानी या माली मदद करना।
१९. निकाह करना।
२०. हज उमरे की कसरत
२१. जितनी भी रोज़ी मिले उस पर अपने से गरीब को देखकर शुक्र बार बार अदा करना।
रिज़्क़ के ख़ज़ाने से माखूज़
و الله اعلم بالصواب
इस्लामी तारीख़
०३~ज़िलक़दह~१४४०~हिज़री
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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