नुज़ूले हज़रत इसा अलैहिस्सलाम और कादयानी और शक़ील पर रद
हिस्सा-२
आज का सवाल नंबर १७९५
हज़रत इसा अलैहिस्सलाम कहाँ और कैसे नाज़िल होंगे ?
जवाब
حامدا و مصلیا مسلما
सहीह मुस्लिम में हज़रात नवास इब्ने सामान की रिवायात में है के,
ईसी तरह अल्लाह ता`अला हज़रत मसीह इब्ने मरयम ( इसा अलैहिस्सलाम) को भेजेंगे, जो दो पीली चादर पहने हुवे फ़रिश्तों के कन्धो पर हाथ रखे हुवे दमिश्क़ की जुमाअ मस्जिद के सुफेद (वाइट) मीनारे पर नाज़िल होंगे, जब वह अपने सर को झुकायेंगे तो पानी के क़तरे टपकेंगे और जब अपने सर को सीधा करेंगे तो सर से सुफेद चांदी की तरह साफ़ सफ्फाफ मोतियों जैसे पानी के क़तरे आप के चेहरे पर से लुहरकेंगे (गिरते होंगे) (जैसे कोई ग़ुस्ल कर के आया हो उस के बाल से क़तरे चेहरे पर से फिसलते है)
(मुस्लिम शरीफ )
हदीस के इस्लाही मज़ामीन जिल्द १५ सफा २८
मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादयानी ने और शकील बिन हनीफ ने भी अपने आप के हज़रते इसा होने का दावा किया है, मिर्ज़ा पंजाब में पैदा होकर मर चुका। और शकील अपनी क़ुदरती उम्र ख़त्म करने के क़रीब पहोंच चूका है।
क्या उन दोनों झुठों में मुस्लिम शरीफ की सहीह हदीस में पेश किया हुवा नुज़ूल का तरीक़ा और हज़रत इसा अलैहिस्सलाम की ये अलामत पायी गई थी ?
हरगिज़ नहीं, एक पंजाब में पैदा हुवा और दूसरा बिहार में पैदा हुवा, तो फिर किस तरह लोग उन को इसा अलैहिस्सलाम मानते है !! क़ाबिले ताज्जुब और जहालत की इन्तिहा है !
و الله اعلم بالصواب
इस्लामी तारीख़
१५~ज़िलक़दह~१४४०~हिज़री
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
The post १७९५ नुज़ूले हज़रत इसा अलैहिस्सलाम और कादयानी और शक़ील पर रद हिस्सा-२ appeared first on Aaj Ka Sawal.