१७९८ कुरबानी की फ़ज़ीलत - Islamic Msg Official

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الأحد، 21 يوليو 2019

१७९८ कुरबानी की फ़ज़ीलत

कुरबानी की फ़ज़ीलत

आज का सवाल नंबर १७९८

क़ुरबानी करने की क्या फ़ज़ीलत है ?

जवाब

حامدا و مصلیا و مسلما

हज़रत आइशा رضی اللہ عنھا से रिवायत हे के हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया के ज़िल हिज्ज की १० तारीख यानी ईदुल अज़हा के दिन इंसान का कोई अमल अल्लाह ताला को क़ुरबानी से ज़ियादह महबूब नहीं है, और क़ुरबानी का जानवर क़ियामत के दिन अपने सींगो और बालो और खुरो के साथ ज़िंदा होकर आएगा, और क़ुरबानी का खून ज़मीं पर गिरने से पहले अल्लाह ताला की रजा और मक़बूलियत के मक़ाम पर पहोंच जाता है , पस ऐ खुदा के बन्दों दिल की पूरी ख़ुशी से क़ुर्बानियां किया करो.

दूसरी रिवायत में है के क़ुरबानी के जानवर के हर बाल के बदले में एक नेकी मिलेगी, सहाबा रदि अल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ﷺ उन् की भी यही फ़ज़ीलत है. (उन् बारीक़ होने की वजह से बहुत होता है) हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया हाँ हर उन् के बाल के बदले में भी एक नेकी है.

(मफ़हूमे हदीस)
जानवर के बदन पर हज़ारों और लाखों बाल होते हैं. दीनदारी की बात यह है के इतने बड़े सवाब की लालच में जिस पर क़ुरबानी वाजिब नहीं है उस को भी कर देनी चाहिए, यह दिन चले जायेंगे तो इतना बड़ा सवाब कैसे हासिल होगा ?

तिर्मिज़ी शरीफ व इब्ने माजाह
बाहवाला मसाइले क़ुरबानी ३२ बिफरकि यसीर

و الله اعلم بالصواب

इस्लामी तारीख़
१८~ज़िलक़दह~१४४०~हिज़री

मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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