क़ुरबानी में वलीमा या अक़ीक़ाह का हिसाह रखना* *क़ुरबानी में अल्लाह का हिस्सा रखना* - Islamic Msg Official

Ads 720 x 90

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Your Ad Spot

Thursday, August 8, 2019

क़ुरबानी में वलीमा या अक़ीक़ाह का हिसाह रखना* *क़ुरबानी में अल्लाह का हिस्सा रखना*

*क़ुरबानी में वलीमा या अक़ीक़ाह का हिसाह रखना*
*क़ुरबानी में अल्लाह का हिस्सा रखना*

🔴आज का सवाल नंबर १८१५🔴

१⃣ क़ुरबानी में वलीमा या अक़ीक़ाह का हिस्सा रख सकते हैं ?

२⃣ बाज़ लोग क़ुरबानी में अल्लाह का हिस्सा रखने को कहते है तो ये कैसा है ?
    
🔵जवाब🔵

حامد و مصلیا و مسلما

१⃣ जी हा, वलीमा सुन्नत है, सवाब है, उस का हिस्सा रख सकते है, ईसी तरह अक़ीक़ाह का हिस्सा भी रख सकते है।

📚मुस्तफ़द किताबुल मसाइल २,२३३)

२⃣ बाज़ लोग बड़े जानवर में अल्लाह का हिस्सा रखने के मुताल्लिक़ पूछते है तो ये बात याद रहे के तमाम हिस्से और तमाम क़ुर्बानियां अल्लाह त'आला के लिए ही होती है, उर्फ़ (बोल-चाल के रिवाज में) 'मेंरा हिसा' 'फूलां के नाम का जानवर' बोल दिया जाता है, हक़ीक़त में निय्यत ये होनी चाहिए के फुलां की तरफ से हिस्सा या क़ुरबानी अल्लाह त'आला के लिए में ज़बह करता हुं।

و الله اعلم بالصواب

*🌙इस्लामी तारीख़*🗓
०६~ज़िल हिज्जह~१४४०~हिज़री

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

🌍 https://aajkasawal.in/
🌍 https://ift.tt/2NZD19d



No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Your Ad Spot