unache esa hi kiya gaya aur is Tarah Ye Lashkar Madina Munavvara me dakhil hua ,Teen Laakh Dushmano ke muqable me Sirf Teen Hazaar Sahaba Ka muqabla Karna aur Unke beshumaar logo ko qatl Kar Ke Lashkar Ka Sahi salamat waapas Madina Munavvara lot Aana Ek bahut badi Kamyaabi thi ..is Bahut badi Kamyaabi per Jis qadar bhi Khushi Mehsoos ki Jati thi Kam thi ,
*_ Seeratun Nabi ﷺ_Qadam Ba Qadam ( Writer- Abdullah Farani ) -Jild -2 Safa-228*
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*┱✿_ मौता की जंग -6 _,*
★_ जाफर रज़ियल्लाहु अन्हु के बारे में आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- अल्लाह ताला ने जाफर के दोनों बाजुओं की जगह पर दो पर लगा दिए हैं वह उनके ज़रिए जन्नत में उड़ते फिरते हैं _,"
★_ हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि हजरत जाफर रज़ियल्लाहु अन्हु की लाश पर उनके सीने और मोढों के दरमियानी हिस्से में 90 जख्म आए थे यह तलवार और नेज़े के थे ।
हजरत जाफर रज़ियल्लाहु अन्हु उस रोज थे भी रोज़े से , हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि मैं हजरत जाफर के पास शाम के वक्त पहुंचा वह मैदान-ए-जंग में ज़ख्मों से चूर पड़े थे मैंने उन्हें पानी पेश किया तो उन्होंने फरमाया मैं रोज़े से हूं तुम यह पानी मेरे मुंह के पास रख दो, अगर मैं सूरज गुरूब होने तक जिंदा रहा तो इस पानी से रोज़ा इफ्तार कर लूंगा _," हजरत इब्ने उमर रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि सूरज गुरूब होने से पहले ही वह शहीद हो गए _,"
★_ हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि एक मर्तबा हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम के साथ थे, अचानक आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने आसमान की तरफ मुंह उठाया और वा अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाह फरमाया , लोगों ने अर्ज़ किया :- ऐ अल्लाह के रसूल ! यह आपने क्यों फरमाया ?
जवाब में इरशाद फरमाया - "_अभी मेरे पास से जाफर इब्ने अबी तालिब फरिश्तों के जमघट में गुज़रे हैं उन्होंने मुझे सलाम किया था _,"
★_ गज़वा मौता से वापस आने वाला लश्कर जब मदीना मुनव्वरा के करीब पहुंचा तो वहीं आकर अल्लाह के रसूल और मुसलमानों ने उनसे मुलाकात की । शहर में बच्चों ने अश'आर गाकर उन्हें खुशामदीद कहा , उस वक्त आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम अपनी सवारी पर तशरीफ ला रहे थे उन बच्चों को देखकर फरमाया - इन्हें उठाकर सवारियों पर बिठा लो और जाफर के बच्चों को मेरे पीछे बिठा दो_," चुनांचे ऐसा ही किया गया और इस तरह वह लश्कर मदीना मुनव्वरा में दाखिल हुआ। तीन लाख दुश्मनों के मुकाबले में सिर्फ तीन हजार सहाबा का मुकाबला करना और उनके बेशुमार लोगों को क़त्ल करके सही सलामत वापस लौट आना एक बहुत बड़ी कामयाबी थी ..इस बहुत बड़ी कामयाबी पर जिस क़दर खुशी महसूस की जाती थी कम थी _,
*_ सीरतुन नबी ﷺ _ क़दम बा क़दम (मुसन्निफ- अब्दुल्लाह फारानी)- जिल्द-२ सफा- 228*
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*ʀєαd, ғσʟʟσɯ αɳd ғσʀɯαʀd ,*
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_ *𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥*
http://IslamicMsgOfficial.blogspot.com
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By: via 𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥
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الجمعة، 15 مايو 2020
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