्दन हिला सकते हैं,ये सब नशे में हैं,
❖_बताइए!ईशा की नमाज़ ज़रूरी है या शराबियों की क़व्वाली सुनना ज़रूरी है?बाज़ जगह अपनी आंखों से देखा है कि क़व्वाली हो रही है और पीर साहब को सज्दा किया जा रहा है और नमाज़ का एहतेमाम नही,
❖_अल्लामा शामी"इब्ने आबिदीन फिकहा शामी"मैं और सुल्तान निज़ामुद्दीन अवलिया रह. अपनी किताब में लिखते हैं कि चार शर्ते हैं जिनसे अशआर का सुनना जाइज़ है,चाहे हम्द में हो या सरवरे दो आलम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की मोहबत में नात शरीफ हो,
1-सुनने वाला नफ़्स का बन्दा गुलाम न हो यानी इश्क़ मिज़ाजी में मुब्तिला न हो,गैरुल्लाह से पाक हो,
2-अशआर के मज़मून शरीयत के खिलाफ न हो,(शिर्क व बिद्दत से पाक हो)
3-सारंगी तबला न हो यानी मौसिक़ी(म्यूजिक) न हो,गाने बजाने का सामान न हो,
4-जो अशआर सुना रहा है वो बगैर दाढ़ी मूंछ का लड़का न हो और औरत न हो,
* हजरत मौलाना शाह हकीम मोहम्मद अख्तर साहब रह. _,*
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*✰_Mohataj E Dua_✰*
*𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥✰*
*_𝐉𝐨𝐢𝐧 𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐓𝐞𝐥𝐞𝐠𝐫𝐚𝐦 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥_*
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*_𝐉𝐨𝐢𝐧 𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐖𝐡𝐚𝐭𝐬𝐚𝐩𝐩 𝐆𝐫𝐨𝐮𝐩_*
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*ʀєαd, ғσʟʟσɯ αɳd ғσʀɯαʀd ,*
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By: via 𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥
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الخميس، 28 مايو 2020
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