,*
✯—————————————✯
*
*✺ मुतफर्रिक ✺*
★_ रमजान के आखरी दस दिन का एतिकाफ सुन्नते किफाया है, अगर मोहल्ले के कुछ लोग इस सुन्नत को अदा करें तो मस्जिद का हक जो अहले मोहल्ले पर लाज़िम है अदा हो जाएगा और अगर मस्जिद खाली रही और कोई शख्स भी एतिकाफ में ना बैठा तो सब मोहल्ले वाले लायक़े इताब होंगे और मस्जिद के एतिकाफ से खाली रहने का बवाल पूरे मोहल्ले पर पड़ेगा।
★_ जिस मस्जिद में नमाज पंज वक्ता बा जमात होती हो उसमें एतिकाफ के लिए बैठना चाहिए और अगर मस्जिद ऐसी हो जिसमें पंज वक्ता ने नमाज बाजमात ना होती हो उसमें पंच वक्ता नमाज बाजमात का इंतजाम करना अहले मोहल्ले पर लाज़िम है।
★_ औरत अपने घर में एक जगह नमाज के लिए मुकर्रर करके वहां एतिकाफ करें उसको मस्जिद में एतिकाफ में बैठने का सवाब मिलेगा ।
★_एतिकाफ में कुरान मजीद की तिलावत दरूद शरीफ जिक्र व तस्बीह, दीनी इल्म सीखना और सिखाना ,अंबिया अलैहिस्सलाम सहाबा किराम रजियल्लाहू अन्हुम और बुजुर्गाने दीन के हालात पढ़ना सुनना अपना मामूल रखें । बेजरुरत बात करने से ऐराज करें ।
★_एतिकाफ में बे जरूरत एतिउ की जगह से निकलना जायज़ नहीं वरना एतिकाफ बाकी नहीं रहेगा । याद रखें कि एतिकाफ की जगह से मुराद पूरी मस्जिद है जिसमें एतिकाफ किया जाए खास वह जगह मुराद नहीं जो मस्जिद में एतिकाफ के लिए मखसूस कर ली जाती है ।
★_पेशाब पाखाने और गुस्ल के लिए बाहर जाना जायज़ है इसी तरह अगर घर से खाना लाने वाला कोई ना हो तो खाना खाने के लिए घर जाना भी जायज़ है।
*आप के मसाईल और उनका हल- 3 /322,*
○═┅═┅═┅═┅═┅═┅═┅═┅○
*✷PART-12✷*
✯—————————————✯
*✺ Waajib ul Gusl✺*
★ Agar kisi Moatkif per Gusl waajib ho jaye to gusl karne ki zarurat ke liye Moatkif ko bahar nikalna jaa’iz he,
★ Moatkif ko Din ya Raat me ahatlam ho jane per Aitkaaf per koi asar nahi padta,
★ Agar Masjid me Gusalkhana mojood ho to usi me gusl karna chahiye lekin agar gusalkhana na ho ya usme gusl karna mumkin na ho to, maslan Masjid me pani vagera girne ka andesha ho to is soorat me bahar ja sakta he,
★ Sardiyo me ahatlam ho jaye aur garam pani ka intezam masjid me na ho aur thande pani se nuksaan ka andesha ho to Moatkif Tayammum kare, Masjid me rahe aur apne ghar ittela kare taki pani garam ho jaye,
Aur agar qareeb me kahi garm pani ka hammam ho to waha ja sakta he, ho sake to waha bhi pehle ittela kar de aur foran gusl karke aa jaye,
✯—————————————✯
*✺ वाजिबुल गुस्ल ✺*
★_ अगर किसी मौतकिफ पर गुस्ल वाजिब हो जाए तो गुस्ल करने की जरूरत के लिए मौतकिफ को बाहर निकलना जायज़ है ।
★_मौतकिफ को दिन या रात में एहतलाम हो जाने पर एतिकाफ पर कोई असर नहीं पड़ता ।
★_अगर मस्जिद में गुसलखाना मौजूद हो तो उसी में गुसल करना चाहिए लेकिन अगर गुसलखाना ना हो या उसमें गुसल करना मुमकिन ना हो तो मसलन मस्जिद में पानी वगैरह गिरने का अंदेशा हो तो इस सूरत में बाहर जा सकता है ।
★_सर्दियों में एहतलाम हो जाए और गर्म पानी का इंतजाम मस्जिद में ना हो और ठंडे पानी से नुकसान का अंदेशा हो तो मौतकिफ तयम्मुम करें ,मस्जिद में रहे और अपने घर इत्तेला करें ताकि पानी गर्म हो जाए और अगर क़रीब में कहीं गर्म पानी का हमाम हो तो वहां जा सकता है ,हो सके तो वहां भी पहले इत्तेला कर दे और फौरन गुस्ल करके आ जाए।
○═┅═┅═┅═┅═┅═┅═┅═┅○
*✷PART-13✷*
✯—————————————✯
*✺ Juma ke Liye Jana✺*
★ Behtar ye he k esi Masjid me Aitkaaf kiya jaye jisme Namaze Juma hoti ho, lekin agar kisi Masjid me juma nahi hota to doosri Masjid me Juma ke liye ja sakta he,
Albatta is garz ke liye ese waqt me nikle jab ye andaza ho k Juma ki jagah pahunch kar 4 raka’at sunnat Ada karne ke foran baad khutba shuru ho jayega,
★ Kisi Masjid me Juma padhne ke liye gaya to Farz padhne ke baad sunnate bhi wahi padh sakta he, lekin uske baad theharna jaa’iz nahi, Taham agar zarurat se zyada thehar gaya to chunki Masjid hi me thehra he isliye Aitkaaf nahi tootega,
★ Juma ki Namaz ke ye ahkaam sirf Mardo ke liye he Aurto’n ke liye nahi, kyuki Aurto’n per Juma waajib nahi lihaza unko Juma ke liye Jane ki na to zarurat he aur na hi unke liye jaa’iz he,
✯—————————————✯
*✺ जुमा के लिए जाना ✺*
★_ बेहतर यह है ऐसी मस्जिद में एतिकाफ किया जाए जहां नमाजे जुमा होती हो ,लेकिन अगर किसी मस्जिद में जुमा नहीं होता तो जुम्मा के लिए जा सकता है।
★_ अलबत्ता इस गरज के लिए ऐसे वक्त में निकले जब यह अंदाजा हो कि जुमा की जगह पह
By: via 𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥
Post Top Ad
Your Ad Spot
Wednesday, May 13, 2020
𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Post Top Ad
Your Ad Spot