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الأحد، 31 مايو 2020

𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post

*REMEDY FOR REGULAR PRAYERS*

Today's Question no. 2117

I tried to pray five times regularly during the month of Ramadan, and tried staying away from sins with an intention to continue even after Ramadan. However, certain prayers get qazaa (late) and also committed some sins. How can I avoid doing so?

Answer

To offe4 all the prayers on time and to avoid sinning, Hazrat Hakeemul ummat mujadeede Millat Maulana Ashraf Ali Thanwi rahmatuLLah Alaihi have written one remedy (idea). If one follows it with his heart, it will definitely bring a positive change in prayers and avoiding sins.

The explanation of it is if any aamal (prayers etc) or commit any sin, one should agree to a certain penalty on oneself (either physical, monetary), the nafs will automatically become obedient.
For example, the day I miss my fajr prayers, I will have to gave a sadaqa of Rs 100, depending on ones ability such that one can afford it without any issues.
Or a physical penalty, for example if I miss fajr prayers, I will pray 10 times qazaa of it, if 2 rakaat qazaa I will offer other 8 rakat or will not have breakfast on that day. Or to pray a tasbeeh of istigfar or offer sadaqa. If it is done, 2 or 3 times. Such a way will bring the nafs in control, as it is miserly in nature. Doing so will discipline nafs and this way will make regulation in prayers and will be easy to avoid sins. Insha Allah.

MALFUZATE HAKEEMUL UMMAT SE MAKHOOZ

And Allah swt knows best.

Mufti Imran Ismail Memon Hanfi Chisti.
Ustaze Darul Uloom, Rampura, Surat, Gujarat, India.

*नमाज़ की पाबन्दी करने का नुस्खा*

आज का सवाल नंबर २११७

हमने रमजान में ५ वक़्त की नमाज़ की पाबन्दी बराबर की, और गुनाह से बचने का अहतमाम भी किया, और रमजान बाद भी पाबन्दी की निय्यत की, लेकिन नमाज़ें रोज़ाना क़ज़ा हो रही है, किसी किसी वक़्त की पढ़ लेता हु, और बाज़ गुनाह भी शुरू हो गए तो नमाज़ की पाबन्दी और गुनाह छोड़ने के लिए क्या करना चाहिए ?

जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
नमाज़ वगैरह की पाबन्दी के लिए और गुनाह छोड़ने के लिए हज़रात हकीमुल उम्मत मुजदीदे मिल्लत मौलाना अशरफ़ अली थानवी रह. ने एक तदबीर-आईडिया लिखा है, अगर उसे दिल पर लेकर अमल किया जाये तो ज़रूर पाबन्दी दोबारह शुरू हो जाएगी। और गुनाह छुट जाएंगे।

हज़रात लिखते है जिस का खुलासा है के :

कोई भी अमल छूटे या कोई गुनाह हो तो अपने ऊपर जानी या माली जुरमाना-पेनल्टी मुक़र्रर की जाये तो नफ़्स सीधा हो जाएगा।
मसलान जिस रोज़ मेरी फ़ज्र की नमाज़ क़ज़ा होगी तो में १०० रुपयेसदक़ह करुँगा, हर आदमी अपनी हैसिययत से पैसों की इतनी मिक़्दार तय करे जिस को निभा भी सके और नफ़्स पर बोझ भी पडे।

या जानी जुरमाना मुक़र्रर करे के जो नमाज़ मेरी छुटेगी तो उस की दस गुना क़ज़ा करूँगा, मसलन फज्र की दो रकअत क़ज़ा के साथ मज़ीद ८ रकअत इस तरह दस रकअत पढ़ूँगा, या उस दिन नाश्ता ही नहीं करुँगा, ज़ो गुनाह हो उस पर इस्तिगफार की पूरी तस्बीह या सदक़ह करें, ऐसा दो तीन बार करने ही से नफ़्स क़ाबू में आएगा। क्यूँ के नफ़्स फ़ित्रतन बख़ील है, और उस पर बोझ डालने से मुजाहिदा करवाने से उस की इस्लाह होती है।

इस तरह करने से नमाज़ की पाबन्दी शुरू हो जाएगी और गुनाह से बचना भी आसान होगा। इंशाअल्लाह।

मलफ़ूज़ाते हकीमुल उम्मत से माखूज़

मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
By: via 𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥

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