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الجمعة، 31 يوليو 2020

𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post

ज़बह का तरीका और हराम अज्ज़ा

आज का सवाल न.२१७८

*क़ुरबानी के जानवर को ज़बह का तरीक़ा और गोश्त की तक़सीम और कसाई की उजरत और जानवर की हराम चीज़ों के बारे में बताने नई गुज़ारिश.*


حامدا و مصلیا و مسلما

जानवर का ज़बह कितनी रग काटने पर होगा ?
जानवर के गले में ४ रगें होती हे. 
१) हलकूम से सांस लिया जाता हे.
२) मुरी जिस से खाना अंदर जाता हे.
३ और ४) दो खून की रगें.
४ में से ३ रग कट जाये तो जानवर हलाल हो जाता हे और शरई ज़बह हो जाता हे. 
(अगर ३ न कटी सिर्फ १ या २ कटी तो जानवर हलाल नहीं होगा)

गर्दन में किस जगह छुरी चलायी जाये ?
जानवर की गर्दन के किसी भी हिस्से में छुरी चला सकते हैं उस में बिच किनारे की कोई क़ैद नहीं हे.
किताबुल मसाइल २, २४५-२४६

क़ुरबानी की खाल कसाई को दे सकते हैं ?
क़ुरबानी के जानवर की खाल खुद इस्तेमाल कर सकते हैं, किसी को दे भी सकते हैं, अगर खुद ने वो खाल बेच दी तो इस की क़ीमत गरीबो में सदक़ा करना ज़रूरी हे *कसाई की उजरत में खाल नहीं दे सकते की उजरत अलग से दे हदये के तोर पर दे सकते हैं.
मुस्तफ़द अज़ किताबुल मसाइल

क़ुरबानी का गोश्त गैर मुस्लिमो को दे सकते हैं ?
क़ुरबानी का गोश्त गैर मुस्लिम को भी देना जाइज़ हे.
किताबुल मसाइल बाहवाला आलमगीरी अएलाउस सुनन २
(अलबत्ता मुस्लिम को देना ज़ियादा बेहतर हे उन का हक़ पहले है)
फतावा रहीमिया क़दीम 6,165

क़ुरबानी के ज़बह किये हुवे हलाल जानवर में कितनी और  कोन कोन सी चीज़ों का खाना हराम है ?

क़ुरबानी के ज़बह किये हुवे हलाल जानवर में ७ चीज़ें  खाना मकरूहे तहरीमी यानि हराम के क़रीब है. और १ चीज़ बिलकुल हराम है.
(१) नर जानवर  की पेशाब की जगह
(२) मादह जानवर की पेशाब की जगह
(३) पेशाब की थैली
(४) पित्त (कड़वे पानी की थैली
(५) दोनों  कपुरिये :खुसया: सफेद गुर्दे जो गैर खस्सी जानवर में होते है
(६) गुदूद यानि जमे  हुवे खून की गुठली- गांठे जो बाज़ जानवर के गोश्त में होती है. वरना गुदा जो नल्ली में से निकलता है वह तो हलाल है

(7) बहनेवाला खून बिल्कुल हराम, यानि क़ुरान से ही हराम है, जो खून कटे हुवे गोश्त और कीमे -खीमे में होता हैं वह पाक है क्यों के वह बहनेवाला नहीं है.

फतवा महमूदुय्याह दाभेल १७/२९७ से ३०२
बहवाला शामी
किताबुल खुंसा मसाइल शततः ६/७४९ सईद)

و الله اعلم بالصواب

मौलाना इब्राहिम आल्यानी साहब

तस्दीक़
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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