𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post - Islamic Msg Official

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الأربعاء، 20 أكتوبر 2021

𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post

बाल मुबारक

आज का सवाल नं २६२६

बाल मुबारक के देखने का क्या हुक्म है ?

जवाब

हदीस शरीफ से साबित है के हुज़ुर ﷺ ने अपने बाल मुबारक सहाबा रदीअल्लाहु तआला अन्हुमा को तक़सीम फरमाए थे।

फतावा इब्ने तैमियाह मे है के हुज़ुर ﷺ ने अपने बाल मुबारक मुंडवा कर आधे सर के बाल अबु तल्हा रदी अल्लाहु तआला अन्हु को दिये और आधे लोगो के दरमियान तक़सीम फरमा दिये।

अगर किसी के पास हो तो ताज्जुब की बात नहीं।

अगर उस की सहीह और क़ाबिले एतिमाद सनद (पुरी चेईन हो के हम तक किस ज़रीये पहोंचा) हो तो उस की ताज़ीम-ज़्यारत करना बहोत बडी खुश नसीबी है।

अगर सनद ना हो और बनावटी होने का भी यक़ीन ना हो तो खामोश़ि इख्तियार कि जाये, ना उसकी तसदीक़ करे/सच्चा समजे, ना तकज़ीब/झुठलाये, ना ताज़ीम करे, ना तोहीन करे।

*बाल मुबारक और दुसरे नबवी तबर्रुकात खैरो-बरकात को वाजिब करने वाले है, और उसकी ज़्यारत से अज्रो-सवाब मिलता है।*

उसे देखने मे मर्दो और औरतो का मिलाप ना हो।

हज़रत आईशाह रद्दी अल्लाहु तआला अन्हा अपने ज़माने की औरतो के मुताल्लिक़ फरमाती है के रसुल्लाह ﷺ इस ज़माने की औरतो को देखते तो उन को मस्जीद मे जाने से मना फरमाते।

लिहाज़ा औरतो को जमा ना किया जाये।

(तबर्रुकाते मुबारक को हमारे गुनाहगार हाथ ना लगाये जाये। सिर्फ ज़ियारत पर बस किया जाये।)

तबर्रुकात से बरकत हासिल करने का सहीह और जाइज़ तरीक़ा ये है के खास तारीख तय किये बगैर लोगो को जमा करने का एहतिमाम किये बगैर जब दिल चाहे ज़ियारत करे कराये।

सहाबा के ज़माने मे दस्तूर था के किसी नज़र वगैरह की तकलीफ़ हो जाती तो उम्मुल मोमीनीन हज़रत उम्मे सलमाह रदीअल्लाहु तआला अन्हा के पास पानी का प्याला भेज दिया जाता, आप के पास बाल मुबारक थे। उनको चांदी की नल्की मे महेफूज़ रखा था, पानी मे उस नल्की डाल देते थे और वो पानी मरीज़ को पिलाया जाता था।

क़ुस्तलानि शरहे बुखारी जि.८/ सफा ३८२

हज़रत अस्मा रदीअल्लाहु अन्हा के पास हुज़ुर ﷺ का कुर्ता मुबारक था, फरमाती है के हम उसे पानी मे धोकर वो पानी अपने बिमारों को बगर्ज़े शिफा मरीज़ को पिला दिया करते है।

सहीह मुस्लिम २/१९०

फतावा रहीमियह जदीद बाब-उल-अंबिया जिल्द ३/ सफा ४० से ४२ का खुलासा उर्दु की आसानी के साथ

हम एहले सुन्नत वल जमात तबर्रुकात से बरकत हासिल होने को मानते है। लेकिन उसे सब कुछ ना समझे। नजात तो आमाल से होगी, बिला आमाल व इत्तिबा ए नबी ﷺ सिर्फ ज़ाहिरी मुहब्बत का ढोंग और मुहब्बत के दावे काफी नहीं।

*गैर-मुक़ल्लिद नाम के एहले हदीस असल वहाबी तबर्रुकात से बरकत हासिल करने को नहीं मानते।*

अल्लाह जल्ले-शानहु हमे सच्ची और कामिल मुहब्बतो ईस्क़े रसुल सल्लललाहू अलयही वसल्लम नसीब फरमाये।

आमीन।

و الله اعلم بالصواب

मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

https://T.me/IslamicMsgOfficial

BAAL MUBARAK

AAJ KA SAWAL NO:2626

BAAL MUBARAK KE DEKHNE KA KYA HUKM HAI?

JAWAB

حامد و مصلیا و مسلما

HADEES SHAREEF SE SAABIT HAI KE HUZUR ﷺ NE APNE BAAL MUBARAK SAHAABA ​RADEEYALLAHU ANHUM KO TAQSEEM FARMAYE THE.

FATAWA IBNE TAYMIYAH ME HAI HUZOOR ﷺ NE APNE BAAL MUNDWAKAR AADHE SAR KE BAAL ABU TALHA RADIYALLHU ANHU KO DIYE AUR AADHE LOGON KE DARMIYAN TAQSEEM FARMA DIYE.

AGAR KISI KE PAAS HO TO TAJJUB KI BAAT NAHIN. AGAR USKI SAHIH AUR QABILE AETIMAD SANAD (PURI CHAIN HO KE HAM TAK KIS KIS KE ZARIYE PAHONCHA) HO TO USKI TAAZEEM (ZIYARAT) KARNA BAHOT BADI KHUSH NASIBI HAI.

AGAR SANAD NA HO AUR BANAWATI HONE KA BHI YAQEEN NA HO TO KHAMOSHI IKHTIYAR KI JAAYE NA USKI TASDEEQ KARE (SACHCHA SAMJHE) NA TAKZEEB (JHUTLAYE). NA TA'AZEM KARE NA TAUHIN KARE.

BAAL MUBARAK AUR DUSRE NABAVI TABARRUKAT KHAIRO BARAKAT KO VAJIB KARNE WALE HAIN AUR USKI ZIYARAT SE AJR O SAWAB MILTA HAI.

USE DEKHNE ME MARDO AUR AURAT KA MELAP NA HO, HAZRAT AAISHAH RADIYALLAHU ANHA APNE ZAMANE KI AURTO KE MUTALLIQ FARMATI HAIN KE RASULULLAH ﷺ IS ZAMANE KI AURTO KO DEKHTE TO UNKO MASJID ME JAANE SE MANAA FARMATE.
LIHAZA AURTO KO JAMAA NA KIYA JAAYE.

(TABARRUKATE MUBARAKAH KO HAMARE GUNEHGAR HAATH NA LAGAAYE JAYEN. SIRF ZIYARAT PAR BAS KIYA JAAYE.)

TABBARUKAT SE BARAKAT HAASIL KARNE KA SAHIH AUR JAIZ TARIQAH YEH HAI KE KHAAS TARIKH TAY KIYE BAGAIR LOGON KO JAMAA KARNE KA EHTIMAM KIYE BAGAIR JAB DIL CHAHE ZIYARAT KARE AUR KARVAYE.

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