आज का सवाल नंबर २६८२
मिया बीवी में झगड़ा हो और बीवी ना फ़रमानी करती हो तो शरअन क्या करना चाहिए ?
कया उस वक़्त तलाक देनी चाहिए ?
जवाब
तलाक़ अल्लाह को इन्तिहाई ना पसंद है, तलाक़ देने से अल्लाह को गुस्सा आता है, अल्लाह तआला का अर्ष हिल जाता है।
लिहाज़ा तलाक़ देने से पहले क़ुरआने करीम ने चार स्टेप-दर्ज़े बताये है। बीवी से किसी बात में झगड़ा हो और वह नाफ़रमानी करे तो......
१। पहले उसे प्यार मुहब्बत से समझाये, नसीहत करे फिर भी न माने तो...
२। उस का बिस्तर घर ही में अलग कर दे, फिर भी न माने तो.... आखरी दर्जा..
३। उसे हलकी मार मारे, जिस से निशान बाक़ी न रहे, हड्डी न तुटे, लेकिन मामूली गलती पर न मारे, गलती बड़ी हो तो ही दोनों तदबीर इख़्तियार करने के बाद आखीर में मारे।
अगर मान जाये तो उससे कोई इख़्तिलाफ़ी बात न करे, उसे क़ुसूरवार न ठहराये, पुरानी बातों को भूल जाए।
इस से भी क़ाबू में ना आये तो...
४। मियां बीवी दोनों खानदानो के रिश्तेदारों में से एक एक इन्साफ़ से फैसला करनेवाले शख्स दोनों मिया बीवी की शिकायतों को सुने, और अहवाल की तहक़ीक़ करे और दोनों को समझने की सुलह करने की कोशिश करे, अगर दोनों में इखलास है किसी को निचा दिखाना अपने को ऊँचा दिखाना मक़सूद न हो तो अल्लाह का वादा है के वह सुल्ह करा देंगे।
इस से भी मुआमला न सुलझे तो...
*इन ४ स्टेप्स पर अमल किये बिना हरगिज़ हरगिज़ तलाक़ नहीं देनी चाहिए*, जैसा के आज कल लोग जल्द बाज़ी में तलाक़ दे देते हे, और फिर ज़िंदगी भर पस्ताते हे, इस तरह करने को शरीयत ने पसंद नहि किया है,
अब आखीर में तलाक़ दे दें, जिस का सहीह तरीका कल के मेसेज नंबर २२४७ में पेश किया जा चुका ।
सुरह ए निसा आयत ३५,३५ मआ तफ़्सीरे उस्मानी
و الله اعلم بالصواب
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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الجمعة، 3 ديسمبر 2021
𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post
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