कलिमाए कुफ़्र मजबूरी में कहना
आज का सवाल नंबर १७७९
कीसी तनहा शख्स को काफ़िरों की भीड़ ने पकड़ लिया, और कलिमाए कुफर, मसलन जय श्री राम या इस जैसे नारे बोलने पर मार मार कर मजबूर किया, के ये कलमा बोल वरना तुझे मार डालेंगे।
तो वो अपनी जान बचाने के लिए इन जुम्लों को केह सकता है ?
ओर किन हालात में नहीं केह सकते है ?
जवाब
حامدا و مصلیا مسلما
अगर कलिमाए कुफ़्र न केहने पर वाक़ई जान चली जाने का यक़ीन या ग़ालिब गुमान हो, और जो लोग धमकी दे रहे है वह जान लेने पर क़ुदरत भी रखते हो, तो इस तरह कलिमाए कुफ़्र सिर्फ ज़बान से उस को बुरा समझकर केहना के दिल ईमान पर मुत्मइन हो, तो केहने की इजाज़त है।
ये हज़रत अम्मार रदि अल्लाह अन्हु ने कहा था।
लेकिन बेहतर ये है के जान चली जाये मगर कलिमाए कुफ़्र न कहे जैसे के हज़रत यासिर और सुमैय्यह रदि अल्लाहु अन्हा ने किया था *तो शहादत का मर्तबा पायेगा।
मारीफुल क़ुरान सूरह ए नहल आयत १०६ से माखूज
و الله اعلم بالصواب
इस्लामी तारीख़
२९~शव्वाल उल मुकररम~१४४०~हिज़री
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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