१७८१ कुफ़्र का कलमा बोलना कोन सी मजबूरी में हराम - Islamic Msg Official

Ads 720 x 90

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Your Ad Spot

الجمعة، 5 يوليو 2019

१७८१ कुफ़्र का कलमा बोलना कोन सी मजबूरी में हराम

कुफ़्र का कलमा बोलना कोन सी मजबूरी में हराम

आज का सवाल १७८१

कीसी बुज़दिलों की भीड़ ने किसी अकेले मुसलमान को पकड़ लिया और लात, घुसे और लकड़ी से मार कर कहा के जय श्री राम बोलो।
तो मार खाने से बचने के लिए ऐसा बोल सकते है?

जवाब
حامدا و مصلیا مسلما

पूछी हुई सुरत में उन के पास जानलेवा हथियार नहीं है, और सिर्फ हथियार के अलावा मज़कूरा चीज़ों से मारने से जिस में जान जाने या किसी उज़्व-पार्ट के कटने या हमेशा के लिए बेकार हो जाने का ग़ालिब गुमान न हो तो कुफ़्र के कलिमात बोलना हराम है।

जो कुफ़्र को अच्छा समझकर या दिल की ख़ुशी से बोलेगा तो उस के लिए अल्लाह का गज़ब और दर्दनाक अज़ाब है।

मा`रिफुल क़ुरान सूरह ए नहल आयत १०६ की तफ़्सीर से माखूज़

و الله اعلم بالصواب

इस्लामी तारीख़
०१~ज़िलक़दह~१४४०~हिज़री

मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

The post १७८१ कुफ़्र का कलमा बोलना कोन सी मजबूरी में हराम appeared first on Aaj Ka Sawal.



ليست هناك تعليقات:

إرسال تعليق

Post Top Ad

Your Ad Spot