नज़र (मन्नत) में जगह की ताइन
आज का सवाल नंबर १७८२
कीसी ने नज़र-मन्नत मानी के फुलां काम हो जायेगा तो मदीने के फ़क़ीरों को सदक़ा करूँगा, या जुमा मस्जिद में दो रकअत पढ़ूँगा।
तो क्या ईसी तरह करना ज़रूरी है ?
जवाब
حامدا و مصلیا مسلما
नज़र-मन्नत में असल चीज़ सदक़ा करना है, जो कहीं भी किसी भी फ़क़ीर को दे सकते है।
लिहाज़ा मदीने के फ़क़ीर के बजाये इंडिया के फ़क़ीर को भी दे सकते है और नज़र की नमाज़ किसी भी मस्जिद में पढ़ सकते है।
दरसी बहिस्ती ज़ेवर सफा ४०९
و الله اعلم بالصواب
इस्लामी तारीख़
०२~ज़िलक़दह~१४४०~हिज़री
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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