कोई रात होती है और उन 10 रातों में भी ताक़ रातों (21,23, 25 ,27 ,29 ) में शबे कद्र की उम्मीद ज्यादा है और 27 वी शब में सबसे ज्यादा उम्मीद है हत्ताकि की बाज़ उलमा ने इसी तारीख को गोया मुतय्यन कर दिया है । *( कुर्तुबी- 10 /121)*
★_ इसलिए रमजान के आखिरी अशरे में बिल खुसूस घुटने टेककर शबे कद्र की तलाश में लग जाना चाहिए इतनी अज़ीम फजीलत के हासिल करने के लिए 10 रात इबादत में गुजार देना कोई मुश्किल नहीं बशर्ते कि दिल में जज्बा और तड़प हो।
*◐☞ शबे कद्र किन आमाल में गुजा़रें ◐*
❖_ हदीस में आता है कि शबे कद्र की फजीलत तो उसे भी हासिल होती है जो मगरिब और ईशा की नमाज बा जमात अदा करें *(रुहुल माअनी -16 /354)*
लेकिन यह सब से अदना दर्जा है बेहतर यह है कि इस रात में मुख्तलिफ इबादतों को जमा करें और खूब जी लगाकर और निहायत जोक शोक और बशासत से इबादत में मशगूल रहे ।तिलावते कुरान ए करीम इस तरह तवज्जो के साथ करें कि जब आयतें रहमत से गुजरे तो अल्लाह ताला से रहमत का उम्मीदवार हो और जब आयाते अजाब से गुजरे तो जहन्नम से पनाह मांगे। इसी तरह नवाफिल की कसरत करें, मौका मिले तो कम अज कम सलातुत तस्बीह पड़े । नीज हम्दो सना , इस्तगफार, दरूद शरीफ और आहो जारी के साथ दुआ और मुनाजात में मशगूल रहे ।यह पूरी रात कुबूलियत की रात है, इस रात में मलाइका आसमान से उतरते हैं और इबादत करने वालों को अपने झुरमुट में ले लेते हैं मलाइका की सोहबत की वजह से दिल नरम हो जाते हैं खुशु खुज़ू की कैफियत पैदा होती है ,इसलिए दुनिया और आखिरत की हर तरह की भलाईयां मांगनी चाहिए और हर तरह की बुराइयों और सर से पनाह मांगना चाहिए।
★_उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा सिद्दीका रजियल्लाहु अन्हा फर्माती है कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम से अर्ज किया :- मुझे शबे कद्र नसीब हो जाए तो मैं क्या कलिमात कहुं ? तो आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया :-यह दुआ करो
*"_ अल्लाहुम्मा इन्नका अफुववु तुहिब्बुल अफवा फाअफु अन्नी_,"*
(ऐ अल्लाह आप बहुत माफ फरमाने वाले हैं इसलिए मुझे बख्श दीजिए) *(रूहुल माअनी 16 /354)*
*★_ वजाहत :-* _यहां यह वजाहत जरूरी है की शबे कद्र के लिए कोई मुस्तकिल इबादत शरीयत और सुन्नत से साबित नहीं बल्कि इस बारे में उम्मत के अफराद को आज़ादी दी गई है कि वह अपनी बशासय के एतबार से जिस इबादत में ज्यादा जी लगे उसमें अपना वक्त को सर्फ करें।
*"_जैसा कि देखा जाता है शबे कद्र के मौके पर बहुत से पंपलेट और इश्तेहार लगाए जाते हैं जिनमें बाज़ आमाल और नवाफिल के खास फजा़इल लिखे होते हैं वह सब बेअसल हैं उनको हरगिज़ लाज़िम ना समझा जाए और खासतौर पर नमाज ए कजाए उमरी के नाम से बताया जाता है कि जो शख्स शबे कद्र में जिक्र करदा खास दुआओं के साथ 2 रकात निफ्ल पड़ेगा उसकी गुजिशता 60 साल की फर्ज नमाज ए माफ हो जाएंगी । तो यह बिल्कुल झूठ और फ्रॉड है निफ्ल पढ़ने से फर्ज नमाज हरगिज़ माफ नहीं हो सकती उनकी कजा़ जरूरी है। इसलिए मुसलमान ऐसी बेअसल और पुर फरेब बातों पर बिल्कुल यकीन न करें बल्कि शबे कदर में हर तरह की बिदअत और रूसूमात से दूर रहते हुए इखलास और खुशु खुजू के साथ इबादत में मशगूल रहे ताकि अल्लाह ताला की रहमत से फायदा उठाया जा सके।
* शबे कद्र और उसकी फजीलत_,*
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║ *Talibe Dua_*
║ *𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥* http://IslamicMsgOfficial.blogspot.com
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*ʀєαd, ғσʟʟσɯ αɳd ғσʀɯαʀd ,*
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By: via 𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥
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Wednesday, May 20, 2020
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