आज का सवाल नंबर २२७४
१⃣।
हमारे मुआशरे में लड़का शादी की उम्र को पहोंच जाता है, और उस की एक बहन भी शादी की उम्र को पहोंची हुई होती है, लड़के को उस के मुनासिब लड़की से मंगनी हो चुकी होती है, और बहन का रिश्ता बाकी होता है, तो लड़के के निकाह में इस वजह से देर की जाती है के अभी बहन का निकाह नहीं हुवा है, पहले बहन का निकाह होना चाहिए फिर भाई का, क़रीब उम्र की बहन होते हुवे भाई का निकाह पहले करने को ऐब समझा जाता है।
क्या शरीअत में इस की कोई हकीकत है ?
२⃣।
एक मर्तबा बहन का अच्छा रिश्ता आया भी था तो यूँ कह कर मना कर दिया के बहन को लड़का पसंद नहीं आया, तो अचछे रिश्ते माल या सुरत की बुन्याद पर ठुकराना कैसा है ?
जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
१⃣।
हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु से रिवायात है के नबी सल्लल्लाहु वसल्लम ने फ़रमाया, "ए अली। तीन चीज़ में देर न की जाये
१। नमाज़ जब उस का वक़्त हो जाए,
२। जनाज़ा जब आ जाए,
३। बेनिकाह शख्स (मर्द हो या औरत) जब उस का जोड़ा मिल जाए"
लड़के की माली हैसियत इतनी है के महर अदा कर के औरत का नानो नफ़्क़ाह-ज़रूरी खर्चा बर्दाशत कर सकता है, और निकाह न करने की सुरत में ज़िना में मुब्तला होने का यक़ींन है, तो ऐसी सुरत में निकाह करना वाज़िब और ज़रूरी है।
पहले बहन फिर भाई, ऐसी तर्तीब शरीअत से साबित नहीं, जोड़ा मिल गया फिर भी निकाह तरतीब के बहाने नहीं किया और आजकल की बे पर्दगी और बेहयाई के माहोल में लड़का ज़िना में मुब्तला हुवा तो माँ बाप भी गुनेहगार होंगे।
२⃣।
हज़ूर सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया, "जब किसी ऐसे शख्स की तरफ से पैग़ाम आ जाये जिस के अख़लाक़ और दींन से तुम मुत्मइन हो, तो फ़ौरन शादी कर दो, वरना ज़मीन के अंदर अज़ीम फितना व फसाद बरपा होगा"
(जो आजकल जीना, ईर्तिदाद और लड़का या लड़की के भाग जाने की सुरत में हमारे सामने आ रहा है) !
तिर्मिज़ी १\१४८
इस हदीस में अचछे रिश्ते का में`यार माल, खानदान या खूबसूरती को नहीं बनाया गया, बल्के सिर्फ दीनदारी, अच्चे अख़लाक़ हो तो निकाह का पैगाम ठुकराना बहुत बुरा और फ़ितनो और गुनाहों का सबब क़रार दिया है।
و الله اعلم بالصواب
*इस्लामी तारीख*
१६ रबीउल अव्वल १४४२ हिजरी
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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الأربعاء، 4 نوفمبر 2020
𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post
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