HAAR, SEHRA PEHNNA, KALGI RAKHNA
AAJ KA SAWAL NO.2308
Dulhe ka haar, sehra pahenna aur hath me kalgi (fulon ka guldasta) rakhna ya hath me kalaae par laal rang ka kapda ya koi cheez bandhana kaisa hai?
JAWAB
حامدا و مصلیا و مسلما
Har, sehra, aur hath me kalgi rakhna ye asal me hindustan ke gair muslimon ki rasm hai, jo nav muslim aur ilm se na waqif musalmano me baqi rah gai hai, aur un ki suhbat se dusre is qism ke gair paband aur aehtiyat na karne wale musalmano me dakhil ho gai hai.
isliye isey chhodna wajib hai.
Hindustan ke ulama ne isey mushabahat ki wajha se mana farmaya hai.
Hazrat mufti kifayatullah sahab, hazrat mufti azeezur rahman sahab, hazrat maulana ashraf ali sahab wagairah ke fatawa me is ko mana likha hai. Aur un sab ke ustazul asatiza. Hazrat maulana shah ishaq dahelvi Rahmatullahi alayhi (jin ko barelvi bhi apna bada mante hai) unke fatawa me bhi mana kiya gaya hai.
FATAWA MAHMOODIYAH 10/318
SHADI ME PESH AANEWALE MASAIL, SAFA 49
‹ الله اعلم بالصواب
*ISLAMI TAREEKH* : 09 RABEEUL AAKHAR 1440 HIJRI
Mufti Imran Ismail Memon Hanafi Chishti.
Ustaze Darul Uloom Rampura, Surat, Gujarat, India.
हार, सेहरा पहनना, कलगी रखना
आज का सवाल नंबर १५७९
दुल्हे का हार, सेहरा पहेनना और हाथ में कलगी (फ़ूलों का गुलदस्ता) रखना कैसा है ?
जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
हार, सेहरा, और हाथ में कलगी रखना ये असल में हिन्दुस्तान के गैर मुस्लिमों की रस्म है, जो नव मुस्लिम और इल्म से नावाक़िफ़ मुस्लमानो में बाकी रह गई है, और उन की सुहबत से दूसरे इस क़िस्म के गैर पाबन्द और एहतियात न करनेवाले मुस्लमानो में दाखील हो गई है।
इस्लिये इस छोड़ना वाज़िब है।
हिन्दुस्तान के उलेमा ने इसे मुशाबेहत की वजह से मना फ़रमाया है।
हज़रत मुफ्ती किफ़ायतुल्लाह साहब, हज़रत मुफ्ती अज़ीज़ुर रहमान साहब, हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब वगैरह के फ़तवा में इस को मना लिखा है। और उन सब के उस्ताज़ुल असतीजा हज़रत मौलाना शाह इशाक दहेलवी रहमतुल्लाही अलय्हि (जिन को बरेलवी भी अपना बड़ा मानते है) उनके फ़तवा में भी मना किया गया है।
फ़तवा महमूदियाः १०/३१८
शादी में पेश आनेवाले मसाइल सफा ४९
و الله اعلم بالصواب
*इस्लामी तारीख़*
०९ रबी उल आखर १४४० हिजरी
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात
हार, सेहरा पहनना, कलगी रखना
आज का सवाल नंबर २३०८
दुल्हे का हार, सेहरा पहेनना और हाथ में कलगी (फ़ूलों का गुलदस्ता) रखना और हाथ पर लाल कपड़ा बांधना कैसा है ?
जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
हार, सेहरा, और हाथ में कलगी रखना लाल कपड़ा रखना ये असल में हिन्दुस्तान के गैर मुस्लिमों की रस्म है, जो नव मुस्लिम और इल्म से नावाक़िफ़ मुस्लमानो में बाकी रह गई है, और उन की सुहबत से दूसरे इस क़िस्म के गैर पाबन्द और एहतियात न करनेवाले मुस्लमानो में दाखील हो गई है।
इस्लिये इस छोड़ना वाज़िब है।
हिन्दुस्तान के उलेमा ने इसे मुशाबेहत की वजह से मना फ़रमाया है।
हज़रत मुफ्ती किफ़ायतुल्लाह साहब, हज़रत मुफ्ती अज़ीज़ुर रहमान साहब, हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब वगैरह के फ़तवा में इस को मना लिखा है। और उन सब के उस्ताज़ुल असतीजा हज़रत मौलाना शाह इशाक दहेलवी रहमतुल्लाही अलय्हि (जिन को बरेलवी भी अपना बड़ा मानते है) उनके फ़तवा में भी मना किया गया है।
फ़तवा महमूदियाः १०/३१८
शादी में पेश आनेवाले मसाइल सफा ४९
و الله اعلم بالصواب
*इस्लामी तारीख़*
२१ रबी उल आखर १४४२ हिजरी
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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Monday, December 7, 2020
𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post
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