रेडीमेड की दुकान पर जानदार के पुतले (स्टेचयू) की शक्लें और उस का हुक्म
आज का सवाल २२९१
आज कल तैयार कपड़ों और साड़ियों की दुकान में जानदार के पुतले रखे जाते है, उसके बारे में ७ किसम की लोगों की राय और सोच है।
कोनसी सहीह और कोनसी गलत है ? यह बताने की गुज़ारिश।
१।
आज कल जानदार पुतले लगाए बगैर धंधा नहीं होता इसलिये रोज़ी की मजबूरी में जाइज़।
२।
पुतले (स्टेचयू) की आँख पर पट्टी बांध दी जाये तो जाइज़।
३।
आँख और पूरी नाक को किसी तरह भी काट दिया या मिटा दिया जाये तो जाइज़।
४।
ऐसी चीज़ दूर करना ज़रूरी है, जिसके न होने से इंसान ज़िंदा न रहे या जानदार की शकल ही मिट जाये।
५।
दोनो आँख सपाट (प्लेन) हो तो जाइज़।
६।
मूँह पर घूँघट दाल दिया जाये या पूरा चेहरा ही कवर से ढँक दिया जाये तो गुंजाईश हो जाएगी।
७।
पुतले (स्टेचयू) को इस ज़माने के बाज़ उलमा जाइज़ कहते है, काफ़िरों के मुल्क में उस पर अमल करना दूसरों से कम्पटीशन (मुक़ाबला) करने के लिए जाइज़।
आज का जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
सिर्फ नंबर ४ की राय सहीह है।
याने ऐसे उज़्व (पार्ट) को निकाल दिया जाये जिस के बगैर इंसान ज़िंदा न रहे या जानदार की शकल बाक़ी न रहे।
जीसे के सर (हेड) काट दिया जाये या पूरा चेहरा आंख, नाक और मुंह मिटा दिया जाए।
सिर्फ आँखों पर पट्टी बांध दें काफी नहीं है पट्टी बाँधने से भी इंसान ज़िंदा रहता है।
आंख और पूरा नाक को मिटा देना भी काफी नहीं। क्यूँ के आँख और नाक काट देने या मिटा देने से इंसान की शकल कुछ दर्जे में बाक़ी रहती है, दोनों आँखे सपाट प्लेन करना भी काफी नहीं है, आँखे बिलकुल न होने से भी जानदार की तारीफ़ (डेफिनिशन) से नहीं निकलता।
औरत का पुतला हो तो घुघट पहनना भी काफी नहीं, क्या दुल्हन घूँघट नहीं पहनती! घुघट दाल देने से बेजान समझी जाती है ?
इसी तरह चेहरे पर कवर पहनना भी काफी नहीं, क्या फांसी दी जाती है या पोलिस चेहरा ढँक देती है तो वह लोग बेजान समझे जाते है ?
जवाब यही मिलेगा के बेजान नहीं समझे जाते है लिहाज़ा नंबर ६ की सोच भी गलत है।
जानदार का पुतला हराम होना ऐसा मसला है जिस पर अरब और अजम (गैर अरब) और देवबंदी बरेलवी सब उलमा का इत्तिफ़ाक़ है किसी का इख्तिलाफ नहीं।
रोजी का मालिक अल्लाह है और वह तक़दीर में लिखी हुयी है उससे ज़ियादह मिल नहीं सकती। मसाइल क़ुरआन हदीस से निकाले जाते है, इस को सब मानते हैं, लिहाज़ा इसपर अमल करना पूरी दुन्या में ज़रूरी है। चाहे इस्लामी हुकूमत न हो।
हदीस में आता है के जिस घर में तस्वीर (जानदार) या कुत्ता हो वहाँ रहमत के फ़रिश्ते दाखिल नहीं होते। (बुखारी शरीफ)
जब रहमत के फ़रिश्ते नहीं आएंगे तो शैतानी असरात आते हैं। और ऐसी दुकान पर जादू आसानी से हो जाता है। रोज़ी की बरकत जाती रहती है।
लिहाज़ा उन पुतलों का इलाज यही है के उनका सर (हेड) काट दिया जाये, या उनका पूरा चेहरा आँख नाक और मुंह मिटा दिया जाए। हाँ ऐसे पुतले ख़रीदे जिसका सर ही न हो या नाक तक का सर ही न हो।
( जवाहिरूल फ़िक़ह ३/१७०,२२७ से माखूज़
पुरे रिसाले में इसकी बहस है)
टःतावी बाबू माकृहतीस सळट
इमदादूल फ़तवा ४/ २५२ से माखूज़)
कोई ऐतराज़ इशकाल हो तो करें। *जिन लोगों ने अपनी दुकान पर ऐसे हराम पुतले लगा रखे है वह तहरीरी जवाज़ का फ़तवा या जाइज़ केहने वाले मुफ़्ती का नाम उन के मोबाइल नंबर के साथ अहकर के नंबर पर भेजे।*
*आप के कॉन्टेक्ट में ऐसी दुकानवाले जितने भी ही उन को ये मेसेज भेजने की ख़ास दरख़ास्त*
و الله اعلم بالصواب
*इस्लामी तारीख़*
०४ रबी~उल~आखर १४४२ हिजरी
मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इ
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Friday, November 20, 2020
𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post
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