𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post - Islamic Msg Official

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Monday, August 29, 2022

𝐈𝐬𝐥𝐚𝐦𝐢𝐜 𝐌𝐬𝐠 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥's Post

*सास की खिदमत का हुक्म*

आज का सवाल नंबर २९५३

१. सास की खिदमत करना बहु के ज़िम्मे ज़रुरी है?

२. अगर सास की खिदमत शऱअन ज़रुरी नहीं, लेकिन शौहर मालदार ना हो, के खादिम रखे, और कारोबार मे मशगूल रहेता हो तो बीवी को क्या करना चाहीये?

*जवाब*

१. बाज़ आदमी इस को बड़ी सआदतमंदी समझते हैं के बीवी को अपनी मा का महकूम व मगलूब (नोकरानी-खादिम़ा) बना कर रखे, और उस की बदोलत बीवियों पर बडे बडे जुल्म होते है,

सो समज़ लेना चाहिए के बीवी पर फर्ज़-ज़रूरी नहि के सास की खिदमत किया करे, तुम (शोहर-बेटे) सआदतमंद हो, खुद खिदमत करो या खिदमत के लिये नोकर लाओ।

इस्लाहे इन्किलाबे उम्मत सफा १८८ जिल्द २

२. मज़कूऱा सुरत मे भी ना तो शौहर बीवी को खिदमत पर मजबूर कर सकता है ना तो ज़बरदस्ती खिदमत ले सकती है,

*लेकिन जब मौक़ा ऐसा हो तो शरियत अखलाक की भी तालिम देती है।*
शौहर मालदार हो और खादिम रख भी सकता हो फिर भी बीवी बिला कहे खिदमत करेगी तो शौहर सास और तमाम घरवालों के दिलो मे उस की मुहब्बत, कदर और मरतबा बढेगा और सब के दिल आपस मे जुडेंगे और बीवी अल्लाह के क़ुर्ब और अज्रो-सवाब की मुस्तहिक़ होगी, खुसुसन सास ससुर मुहताज हो तो खिदमत करना बेहतर है, एक दिन ये मियां बीवी भी सास और ससुर बनेंगे, ये खिदमत करेंगे तो इनकी आने वाली अवलाद बहु भी खिदमत करेगी।

खुलासा ये है इस बारे मे ना तो सास खिदमत को अपना हक़ समझे ना तो बहु फतवे को लेकर अपने अख्लाकी फराइज़ से गाफिल रहे बेरुखी बरते, बल्के सास, बहु की खिदमत को बहु का एहसान समझे, उस खिदमत मे कुछ कोताही या कमी हो तो गुस्सा करने और बरस ने के बजाये दरगुज़र ( लेट गो) से काम ले और उसकी खिदमत पर तारीफ करे, दुवायें दें और उस का हदीये की सुरत मे कुछ बदला भी दे और सास बहु को अपनी बेटी, और बहु सास को अपनी मा समझे और खिदमत के मौके को गनीमत समझे और उनकी दुवा ले, और उस पर कुछ ना-रवा सुलूक हो तो सब्र से काम ले और उस पर अल्लाह की खुशनुदी, अज़रो सवाब और अपने दर्जे की बुलंद होने की अल्लाह से उम्मीद रखे।

मिसाली दुल्हन सफा ३०७ से ३११ का खुलासा

و الله اعلم بالصواب

मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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